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कोई मिल गया

पड़ोस के गांव की लड़की की सीलतोड़ चुदाई- 1

देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी में पढ़ें कि छुट्टियों में मैं गाँव गया तो वहां मुझे एक लड़की दिखी. वो मुझे अच्छी लगी, मैंने उससे बात की तो वो मुझमें रूचि लेने लगी.

दोस्तो, मैं अपनी कहानी शुरू करने से पहले अपने बारे में कुछ विवरण देना चाहता हूं.
मेरा नाम सोहन है. मेरी 6 फीट ऊंचाई है.

जब मैं छोटा था, मेरे लंड का अग्र भाग बहुत कड़ा था. उस वक्त मेरे लंड पर त्वचा हमेशा बरकरार रहती थी और इसलिए मैं अपनी सुपारी कभी नहीं देख सका था.

इस बात से मुझे दिक्कत हुई तो मेरे माता-पिता मुझे डॉक्टर के पास ले गए और डॉक्टर ने मेरा खतना कर दिया.

अब जवान होने पर मेरे लंड का आकार 7 इंच लंबा और गोलाई में नापने पर ये 5.5 इंच मोटा है.

मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ. इधर की सेक्स कहानी पढ़कर मैंने कुछ समय तक हस्तमैथुन किया. अन्तर्वासना पर मैं ज्यादातर कुंवारी लड़की की सील तोड़ने से संबंधित कहानी पढ़ता था.

अब मेरी देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी का मजा लें.

जब मैं 20 साल का था, तो मुझे अपने गांव के पास एक कॉलेज में प्रवेश मिल गया था. मैं कुछ दोस्तों के साथ एक हॉस्टल में रहने लगा था.

छुट्टी के दौरान मैं माता-पिता के साथ रहने के लिए गांव जाता था.

मेरे पिता एक बिजनेसमैन थे और मां टीचर का जॉब करती थीं.
हम ज्यादा अमीर नहीं थे लेकिन हम खुशी से रहते थे.

एक बार मैं गर्मियों की छुट्टियों में अपने गांव गया था. मेरे गांव के पास नदी है जहां मैं सुबह-शाम सैर के लिए जाता था.

एक दिन जब मैं नदी के पास चल रहा था तो मुझे एक छोटे लड़के के साथ एक सुंदर लड़की दिखी.
मैं उन्हें नहीं पहचानता था. मुझे लगा कि वे दूसरे गांव से हो सकते हैं.

वह लड़की मध्यम परिवार से दिख रही थी.
उसके कपड़े बहुत साधारण से थे लेकिन उसने अपने कपड़े अच्छी तरह से पहने हुए थे.

मैं उस लड़के के पास गया और पूछा- तुम लोग कहां से हो?
लड़के की जगह लड़की ने जवाब दिया- हम दूसरे गांव से हैं और यहां अपने रिश्तेदार के घर रहने के लिए आए हैं. आप कौन हैं?

मैंने कहा- मैं सोहन हूं और यहां मेरा घर है. मैं अपने गांव के पास के एक कॉलेज में पढ़ता हूं और मैं यहां गर्मी की छुट्टी बिताने के लिए हूं. यदि आपको कोई आपत्ति नहीं है तो क्या आप अपना नाम बताएंगी.
उसने मुस्कुरा दिया और कहा- मैं रीतिका हूँ और यह मेरा भाई रोशन है.

मैंने उससे पूछा- क्या तुम नियमित रूप से नदी पर आती हो.
उसने कहा- हां लगभग हर दिन.

मैंने उससे पूछा कि क्या तुम पढ़ाई कर रही हो?
उसने कहा कि नहीं, अब मैंने पढ़ना छोड़ दिया है.
मैंने पूछा- क्यों?

उसने कहा कि मेरे माता पिता बहुत रूढ़िवादी हैं और लड़की को ज्यादा शिक्षित नहीं करना चाहते हैं.
मैंने कहा- यह तो अच्छा नहीं है.
वो कुछ नहीं बोली.

कुछ देर तक बात करने के बाद मैंने उससे कहा- तुमसे बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा. काफी समय हो गया है और मुझे अब घर जाना चाहिए. मैं कल फिर से इधर आऊंगा. क्या मैं कल तुमसे मिलने की उम्मीद कर सकता हूँ?
उसने कहा- कल की कह नहीं सकती. अब मुझे भी काफी देर हो गई है और मैं भी जा रही हूँ.

ये कह कर उसने अपनी मासूम सी मुस्कान बिखेर दी और चली गई.

अगले दिन जब मैं नदी किनारे गया तो मैंने उसे नहीं देखा.
मैं यूं ही नदी किनारे चलने लगा और उसके आने का इंतजार करने लगा.

कुछ समय इंतजार करने के बाद वह वहां आ गई.
मैंने ध्यान से देखा कि वह आज बहुत सुंदर लग रही थी.
उसने अच्छे कपड़े पहने हुए थे और उसके होंठ लाल गुलाब की तरह खुले हुए थे.

उसे देखकर मैंने आज उसे ध्यान से देखना शुरू किया.
आज रीतिका ने लाली लगाई हुई थी, उसके स्तन बहुत आकर्षक लग रहे थे. जबकि कल उसके स्तन एकदम सपाट से लग रहे थे.
उसके लंबे और काले बाल आज कुछ स्पेशल तरह से गुंथे हुए थे.

आज उसे देखने के बाद मैं कुछ हैरान सा रह गया.
कोई लड़की अपना हुलिया इतनी जल्दी कैसे बदल सकती है.

मैंने उससे कहा- तुम आज बहुत सुंदर लग रही हो.
मेरी बात सुनकर वह मुस्कुरा दी.

मैंने पूछा कि तुम आज अकेली आई हो?
उसने बताया कि हां मेरा भाई थोड़ी देर के बाद आएगा.

मैं भी ‘ठीक है रीतिका …’ कह कर मुस्करा दिया.
इस पर उसने अपने बालों को एक झटका दिया और मुस्कुरा दी.

मैंने उससे पूछा- क्या आज हम दोनों खुलकर बात कर सकते हैं.
उसने सर हिला कर अपनी हामी भर दी.

मैंने पूछा कि क्या तुम अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहती हो.
उसने कहा कि नहीं यह संभव नहीं होगा. क्योंकि उसके पिता कभी सहमत नहीं होंगे. इस विषय को छोड़ देते हैं और कुछ और बात करते हैं.

मैं समझ नहीं पा रहा था कि अब इससे किस तरह से बात करूं और असली बात कैसे कहूँ.

मेरी ऊहापोह देख कर उसने खुद ही मुझसे पूछा- आपने अभी शादी की है या नहीं?
मैंने कहा- अभी तक नहीं, रीतिका प्लीज़ तुम मुझे आप कह कर नहीं बुलाओ. मैं तुम्हारी ही उम्र का हूँ.

उसने हंस कर हां कहा और पूछा- तुम शादी कब करने वाले हो?
मैंने उससे कहा- जब मैं नौकरी कर लूंगा, तभी मैं शादी कर सकूंगा.

उसने मासूमियत से पूछा- क्यों?
मैं- मैं अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही शादी करना चाहता हूँ.

वो हम्म कह कर चुप हो गई.
फिर मैंने रीतिका से उसके बारे में पूछा.

तो उसने कहा कि मैं अपनी शादी के बारे में कैसे कुछ बता सकती हूँ. मेरे पिता जी ही मेरी शादी के लिए फैसला करेंगे.
मैंने कहा- हां ये भी ठीक बात है.

वो मेरी तरफ कुछ और बात करने की कामना से देखने लगी.

मैंने कहा- मुझे लगता है कि हमें कल कहीं और मिलना चाहिए. हम मिल कर और अधिक बात करेंगे.
रीतिका ने अपनी दिलचस्पी दिखाई और मुझसे पूछा कि वो कोई और जगह कहां है?

मैं कुछ सोचने लगा. मैंने उससे कहा कि मेरे पिता व्यवसाय के सिलसिले में दूसरे शहर गए हैं और मेरी माँ पूरे दिन स्कूल में रहती हैं. क्या हम लोग मेरे घर पर मिल सकते हैं?
वो खुश सी दिखी.

मैंने उसकी सहमति समझ ली और उसे बताया कि तुम मेरे घर पर कैसे पहुंच सकती हो.
वो समझ गई और बोली- ठीक है मैं कल कितने बजे आऊं?

मैंने उससे कहा- तुम कल 11 बजे आ जाना. मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा.
तभी उसका भाई आता दिखा, तो हम दोनों शांत हो गए.

उसने कहा- मेरा भाई आ गया है और अब मैं उसके साथ जा रही हूँ.
वो इतना कह कर मुस्कुराई और धीमे से बोली- कल मिलती हूँ.

मां कसम उसकी इस बात से मैं इतना उत्तेजित हो गया था कि पूरी रात मैं सो नहीं पाया और उसके सपने देखता रहा.
मैंने अंदाज लगाया कि यह लड़की मेरे नीचे आ सकती है.

फिर मैंने उससे शादी करने के सपने देखने शुरू कर दिए. उसके लिए मैंने अपने दिमाग में प्लान करना शुरू कर दिया कि कैसे वो चुदाई के लिए तैयार होगी. चुदाई के दौरान मैं कैसे उसकी सील तोड़ दूंगा. वह लंड लेते हुए कैसे चिल्लाएगी. फिर मस्त चुदाई के बाद जब वह अपने प्यार की दुहाई देगी तो मैं उससे शादी का आश्वासन दूंगा और उसी से शादी कर लूंगा.

अगले दिन मैं बेसब्री से उसका इंतजार कर रहा था.
मैंने नौकर से कहा कि वह मेरे माता-पिता को रीतिका के आने के बारे में न बताए.

मेरा ये नौकर मेरा बड़ा ख्याल रखता था और मैं भी उसे कुछ पैसे का लालच देकर अपने साथ मिलाए रहता था.

मैंने कमरे को अच्छी तरह से व्यवस्थित किया था. बिस्तर पर कुछ फूल भी डाल दिए थे.

ठीक 11 बजे मैंने उसे आते देखा.
मैं उसका स्वागत करने के लिए उत्साहित हो गया.

जैसे ही वह दरवाजे पर पहुंची, मैं उसे अपने कमरे में ले गया.
मैंने नौकर को दो कप कॉफी लाने के लिए कहा.

मैं पहले से ही उसके लिए कुछ ड्राई फ्रूट्स और मिठाइयां लाया था.

वो आज अपने नीले सूट में मस्त माल लग रही थी.
मैंने उसे देखा तो उसने शर्मा कर कहा- ऐसे क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- आज तुम सीधे स्वर्ग से आने वाली परी की तरह लग रही हो. तुम्हारे आने से मेरा घर महक उठा है.

तभी नौकर हमारे लिए कॉफ़ी ले आया और कप रख कर बाहर चला गया.

मैंने उसे कॉफी का कप उठा कर दिया और कहा- लो कॉफी पियो रीतिका और मिठाई, ड्राई फ्रूट्स भी लो.
रीतिका ने कहा- मुझे तुम्हारी खातिरदारी बहुत अच्छी लगी. मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. तुमने अपने कमरे को भी बहुत खूबसूरती से सजाया है.

मैं उसे धन्यवाद कहा.
अब वो मेरी तरफ देखने लगी.
मैंने उससे कहा कि रीतिका हमारी जान पहचान अभी दो ही दिन पुरानी है, तब भी मैं तुम्हारे सामने एक प्रस्ताव रखना चाहता हूं. तुम इस पर गंभीरता से सोचना, फिर जवाब देना.

रीतिका ने तब मेरा प्रस्ताव पूछा.
मैंने एक लाल गुलाब लिया और उसे पेश किया.

वह हंस दी.
मैंने कहा कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ.

उसने मेरे प्रस्ताव पर आश्चर्य व्यक्त किया और कहा- सोहन, यह मेरे लिए एक हैरान कर देने वाली बात है. एकदम से मैं शादी के लिए कुछ सोच ही नहीं सकती हूँ.
मैंने उससे कहा- तुम अपना समय लो रीतिका लेकिन सकारात्मक सोचना. मुझे तुम्हें खोना नहीं है. मैंने तुम्हें अपनी प्रिया स्वीकार कर लिया है.

रीतिका ने कहा- मुझे एक सप्ताह का समय दो. इसके बाद मैं जवाब दे पाऊंगी. हम दोनों नदी के किनारे मिलेंगे.
‘ठीक है रीतिका डार्लिंग.’

मैंने जैसे ही उसको डार्लिंग कहा, वो शर्मा गई.
मैंने उससे पूछा- शर्मा क्यों गई हो?

वो मेरी तरफ देख कर बोली- आज किसी ने पहली बार मुझसे डार्लिंग कहा है.
मैंने कहा- जब कोई किसी से मुहब्बत करने लगता है तब वो डार्लिंग से अच्छा शब्द बोल ही नहीं सकता.
वो मुस्कुराने लगी.

मैंने कहा- अब मैं तुमको कुछ और बात बताना चाहता हूं. मैं 20 वर्ष हूँ. मैं अपने परिवार का अकेला बेटा हूं. मैं चाहता हूं कि तुम मेरी सारी उम्मीदें पूरी करो.

उसने कहा- सोहन तुम इतने अच्छे इंसान हो. मैं तुम्हारी सभी इच्छाओं को पूरा करने का प्रयास करूंगी. अब तुम मुझे बताओ कि तुम मुझसे क्या चाहते हो?

मैं उसे अपनी इच्छा बताने से डर रहा था. लेकिन मैंने किसी भी तरह से बताने का फैसला किया.

मैंने आगे बढ़ कर उसके हाथ को चूमा और उसके सामने अपनी पहली इच्छा रखी.

मैंने उससे कहा कि हमें शादी से पहले एक दूसरे के शरीर और आत्मा को जानना चाहिए. इसके लिए हमें और अधिक घनिष्ठता की आवश्यकता है.

रीतिका मेरी बात को ध्यान से सुन रही थी.
मैंने कहा- क्या अभी हम दोनों एक बार गले लग सकते हैं?

उसने कुछ नहीं कहा, तो मैं समझ गया कि बंदी शर्मा रही है.

मैंने आगे हाथ बढ़ाकर उसका हाथ पकड़ा और उसे खड़ा कर दिया. वो खड़ी हो गई. मैंने अपने हाथों को फैला कर उसकी तरफ पसार दिए. उसने सर झुका लिया.

दोस्तो, रीतिका मेरे साथ किस तरह से सैट हुई और मैंने उसकी कुंवारी चुत की सीलतोड़ चुदाई का मजा लिया. ये सब मैं अपनी देसी वर्जिन गर्ल हॉट स्टोरी के अगले भाग में लिखूंगा.
आप मुझे मेल जरूर करें. धन्यवाद.
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